शब्द चाहत हैं चीख हैंं
शब्द ही बैर हैं मीत हैं,
शब्द तल्ख हैं प्रीत हैं
शब्द ही नज्म हैं टीस हैं,
शब्द सुकून हैं खीझ हैं
शब्द ही जंग हैं जीत हैं
शब्दों में हर अर्थ छिपा
शब्दों का है खेल बड़ा।
शब्द चाहत हैं चीख हैंं
शब्द ही बैर हैं मीत हैं,
शब्द तल्ख हैं प्रीत हैं
शब्द ही नज्म हैं टीस हैं,
शब्द सुकून हैं खीझ हैं
शब्द ही जंग हैं जीत हैं
शब्दों में हर अर्थ छिपा
शब्दों का है खेल बड़ा।