महफूज रखते हैं लाखों चिराग घर के
मिटा के रौशनी खुद अपनें घरों की
सुला के हमें अपनों की पनाह में
खुद सोते हैं तो बस कफन ढकते हैं
देकर हमें जिंदगी बिना दहशत की
खुद दहशतों से रूबरू दिन-रात लड़ते हैं
देकर हमें परिवार में रहने का सुकून
खुद को बेघर कर मां भारती का लाल कहते हैं
देकर हमें ख्वाब हर खुशी को पाने का
खुद रखते हैं ख्वाब देश के लिए मर-मिटने का
कुछ अलग ही मिट्टी के ये जवान होते हैं
दिखते तो हम जैसे ही हैं लेकिन
हमसे कहीं बेहतर दिल के इंसान होते हैं।